Adam Gondvi Ki Ghazal/Ghazalen : Jism kya hai rooh taq sab kuchh khulasa dekhiye
जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिए
आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिए
जो बदल सकती है इस पुलिया के मौसम का मिजाज़
उस युवा पीढ़ी के चेहरे की हताशा देखिए
जल रहा है देश यह बहला रही है क़ौम को
किस तरह अश्लील है कविता की भाषा देखिए
मतस्यगंधा फिर कोई होगी किसी ऋषि का शिकार
दूर तक फैला हुआ गहरा कुहासा देखिए
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