Ghaziabad News : सुरक्षा के मद्देनजर गाजियाबाद रेलवे स्टेशन (Ghaziabad Railway Station) के प्लेटफार्म नंबर 3 पर स्थित दरगाह (Dargah) की मजार (Mazar) पर 138 साल में पहली बार श्रद्धालुओ के जाने पर पाबंदी लगा दी गई है.
सबसे पहले मजार का मुद्दा 2017 में twitter पर विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ता अभिषेक मिश्रा ने उठाया था. उन्होंने लिखा कि ” सीढ़ियों पर गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के अंदर दरगाह। क्या रेलवे की संपत्ति पर कब्जा करने की अनुमति है?”
Dargah inside Ghaziabad Railway Station on stairs. Is it allowed to capture Railway property ? pic.twitter.com/snlAf3vjfm
— Abhishek Mishra (@Abhishek_Mshra) March 16, 2017
दरअसल मजार के बहाने अपराधी किस्म के लोग स्टेशन पर पहुँच जाते थे. लेकिन अब मजार के नाम पर स्टेशन में प्रवेश नहीं मिलेगा. हालाँकि यात्री मजार पर फूल व् चादर चढ़ा सकेंगे.
रेलवे अधिकारियों के अनुसार गाजियाबाद रेलवे स्टेशन वर्ष 1883 में बना था। स्टेशन बनने से पहले यहां पर मजार थी जो आज भी प्लेटफार्म नंबर तीन पर है। गुरुवार को यहां काफी संख्या में लोग आते हैं।
लाकडाउन के बाद केवल रिजर्वेशन वाले यात्रियों को ही स्टेशन पर आने की इजाजत है, लेकिन कुछ लोग मजार पर जाने के बहाने प्लेटफार्म पर पहुंच जाते थे। लेकिन, स्टेशन के प्रवेश द्वार पर सुरक्षा के मद्देनजर अब गैर मुसाफिरों को मजार पर जाने की अनुमति नहीं मिलेगी।
लाकडाउन के दौरान से प्लेटफार्म टिकट बंद होने के कारण अब केवल ट्रेन में यात्रा करने वाले ही मजार पर आकर फूल-चादर चढ़ा सकेंगे। बता दें कि रेलवे की भूमि पर दो मजार बने हुए हैं। प्लेटफार्म नंबर तीन के अलावा रेलवे माल गोदाम के पास भी एक मजार है। वहां जाने पर रोक नहीं है।
138 साल में पहली बार मजार में जाने पर लगी पाबंदी
रेलवे स्टेशन पर मजार पर जाने का बहाना बनाकर कुछ असामाजिक लोग आ जाते थे। अब केवल मजार पर जाने वालों को स्टेशन पर प्रवेश नहीं दिया जाएगा, जबकि रिजर्वेशन वाले यात्री ही प्लेटफार्म पर जाएंगे। – मधुकांत कुमार, क्षेत्रधिकारी, रेलवे
मजार पर सभी धर्मो के लोग आते हैं और चादर चढ़ाते हैं। मेरी उम्र 60 साल से ज्यादा है। दोनों ही मजार मेरे जन्म से पहले बने हुए हैं। मजार पर श्रद्धालुओं के जाने पर रोक लगाने की मुझे जानकारी नहीं है।-मोहम्मद लियाकत शेख, सूफी
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