अब तो बदल पुराना सोच
पहुंचा कहां ज़माना सोच।
उससे मिलना नहीं अगर तो
फिर से एक बहाना सोच।
सन्नाटों के नगर में कैसे
उसको आज बुलाना सोच।
रात हुई, बादल फिर आये
चलकर कोई ठिकाना सोच।
तेरे साथ रहूंगा, लेकिन
मौसम कोई सुहाना सोच।
– चेतन आनंद
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