ख़मोशियां ही ख़मोशियां हैं हमारे दिल में तुम्हारे दिल में।
उदासियां ही उदासियां हैं हमारे दिल में तुम्हारे दिल में।।
हमें यक़ीं हैं गिरा ही लेंगीं ये नफरतों के दरख़्त सारे,
दबी-दबी-सी जो आंधियां हैं हमारे दिल में तुम्हारे दिल में।।
ये पूरी दुनिया भी इक नदी है चलो कि इसमें उतार दें हम
ये जो ख़यालों की कश्तियां हैं हमारे दिल में तुम्हारे दिल में।।
कि अपनी सांसों को आंच दे दो इन्हें बरफ-सी जमा न दें ये-
घुली-घुली-सी जो सर्दियां हैं हमारे दिल में तुम्हारे दिल में।।
इन्हें भी थोड़ा संवार लें हम इन्हें भी दे दें दिशा नई-सी
नये ज़माने की बिजलियां हैं हमारे दिल में तुम्हारे दिल में।।
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