Wednesday, April 21, 2021
  • Login
Khash Rapat
  • HOME
  • वेब स्टोरी
  • राष्ट्रीय
  • अंतराष्ट्रीय
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • अर्थजगत
  • धर्मकर्म
  • खेल
  • अन्य
    • स्‍वास्‍थ्‍य टिप्‍स
    • साहित्य
      • ग़ज़ल
    • वायरल वीडियो
    • अजब गजब
    • फोटो गैलरी
    • यात्रा
    • खेत खलियान
    • साक्षात्कार
No Result
View All Result
Khash Rapat
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home खास रपट

उत्तराखंड में विद्युत के लिए बांध बने संकट

February 12, 2021
in खास रपट
Dam becomes a crisis for power in Uttarakhand

Dam becomes a crisis for power in Uttarakhand

Share on FacebookShare on Twitter

प्रमोद भार्गव

उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं के लिए बनाए जा रहे बांधों पर उंगलियां शुरू से ही उठाई जाती रही हैं। टिहरी पर बने बांध को रोकने के लिए तो लंबा अभियान चला था। पर्यावरणविद् और भू-वैज्ञानिक भी हिदायतें देते रहे हैं कि गंगा और उसकी सहायक नदियों की अविरल धारा बाधित हुई तो गंगा तो प्रदूषित होगी ही, हिमालय का भी पारिस्थितिकी तंत्र गड़बड़ा सकता है। लेकिन औद्योगिक-प्रोद्यौगिक विकास के लिए इन्हें नजरअंदाज किया गया। अब केदारनाथ दुर्घटना के सात साल बाद एकबार फिर उत्तराखंड तबाही का सामना करने को देश विवश है। सर्वोच्च न्यायालय भी इस बिंदु पर चिंता जता चुका है। केंद्र सरकार के अधीन जल संसाधन मंत्रालय 2016 में न्यायालय से कह चुका है कि अब यहां यदि कोई नई विद्युत परियोजना बनती है तो पर्यावरण के लिए खतरा साबित होगी। दरअसल 2013 में आई केदारनाथ त्रासदी के बाद एक याचिका की सुनवाई करते हुए चैबीस निर्माणाधीन विद्युत परियोजनाओं पर रोक लगा दी गई थी। यह मामला आज भी विचाराधीन है। बावजूद उत्तराखंड में बिजली के लिए जल के दोहन का सिलसिला जारी है।

दरअसल उत्तराखंड में गंगा और उसकी सहयोगी नदियों पर एक लाख तीस हजार करोड़ की जल विद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। ऋषिगंगा परियोजना का कार्य भी 95 प्रतिशत पूरा हो चुका था। लेकिन इस हादसे ने डेढ़ सौ लोगों के प्राण तो लीले ही संयंत्र को भी पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। इन संयंत्रों की स्थापना के लिए लाखों पेड़ों को काटने के बाद पहाड़ों को निर्ममता से छलनी किया जाता है और नदियों पर बांध निर्माण के लिए बुनियाद हेतु गहरे गड्ढे खोदकर खंबे व दीवारें खड़े किए जाते हैं। इन गड्ढों की खुदाई में ड्रिल मशीनों से जो कंपन होता है, वह पहाड़ की परतों की दरारों को खाली कर देता है और पेड़ों की जड़ों से जो पहाड़ गुंथे होते हैं उनकी पकड़ भी इस कंपन से ढीली पड़ जाती है। नतीजतन पहाड़ों के ढहने और हिमखंडों के टूटने की घटनाएं नंदादेवी क्षेत्र में लगातार बढ़ रही हैं। इसीलिए ऋषिगंगा, धौलीगंगा, विष्णुगंगा, अलकनंदा, मंदाकिनी और भागीरथी गंगा के जलअधिग्रहण क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं। इन्हीं नदियों का पानी गोमुख से निकलकर गंगा की धारा को निरंतर बनाए रखता है।

ऋषिगंगा पर बन रहा संयंत्र रन ऑफ रिवर पद्धति पर आधारित था। अर्थात यहां बिजली बनाने के लिए बांध तो नहीं बनाया गया था, लेकिन परियोजना को निर्मित करने के लिए नदी की धारा में मजबूत आधार स्तंभ बनाए गए थे। इन पर टावर खड़े करके विद्युत निर्माण के यंत्र स्थापित कर दिए गए थे। ऐसे में यह समूची परियोजना हिमखंड के टूटने से जो पानी का तेज प्रवाह हुआ, उससे क्षतिग्रस्त हो गई। यह संयंत्र जिस जगह बन रहा था, वहां दोनों किनारों पर संकरी घटियां हैं, इस कारण पानी का वेग अधिक था, जिसे आधार स्तंभ झेल नहीं पाए और संयंत्र बर्बाद हो गया। यह पानी आगे चलकर विष्णुगंगा तपोवन परियोजना तक पहुंचा तो वहां पहले से ही बने बांध में पानी भरा था, नतीजतन बांध की क्षमता से अधिक पानी हो गया और बांध टूट गया। यही पानी तबाही मचाता हुए निचले क्षेत्रों की तरफ बढ़ता चला गया। चूंकि हिमखंड दिन में टूटा था, इसलिए जन व धन की हानि ज्यादा नहीं हुई, अन्यथा बर्बादी का मंजर देखना मुश्किल हो जाता।

गंगा की इस अविरल धारा पर उमा भारती ने तब चिंता की थी, जब केंद्र में संप्रग की सरकार थी और डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। उत्तराखंड के श्रीनगर में जल विद्युत परियोजना के चलते धारादेवी का मंदिर डूब में आ रहा था। इस डूबती देवी को बचाने के लिए उमा धरने पर बैठ गई थीं। अंत में सात करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान करके, मंदिर को स्थांनातरित कर सुरक्षित कर लिया गया। उमा भारती ने चौबीस ऊर्जा संयंत्रों पर रोक के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान 2016 में जल संसाधन मंत्री रहते हुए केंद्र सरकार की इच्छा के विपरीत शपथ-पत्र के जरिए यह कहने की हिम्मत दिखाई थी कि उत्तराखंड में अलकनंदा, भागीरथी, मंदाकिनी और गंगा नदियों पर जो भी बांध एवं जल विद्युत परियोजनाएं बन रही हैं, वे खतरनाक भी हो सकती हैं। लेकिन इस इबारत के विरुद्ध पर्यावरण और ऊर्जा मंत्रालय ने एक हलफनामे में कहा कि बांधों का बनाया जाना खतरनाक नहीं है। इस कथन का आधार 1916 में हुए समझौते को बनाया गया था। इसमें कहा गया है कि नदियों में यदि एक हजार क्यूसेक पानी का बहाव बनाए रखा जाए तो बांध बनाए जा सकते हैं। किंतु इस हलफनामे को प्रस्तुत करते हुए यह ध्यान नहीं रखा गया कि सौ साल पहले इस समझौते में समतल क्षेत्रों में बांध बनाए जाने की परिकल्पनाएं अंतर्निहित थीं। उस समय हिमालय क्षेत्र में बांध बनाने की कल्पना किसी ने की ही नहीं थी।

इन शपथ-पत्रों को देते समय 70 नए ऊर्जा संयंत्रों को बनाए जाने की तैयारी चल रही थी। दरअसल परतंत्र भारत में जब अंग्रेजों ने गंगा किनारे उद्योग लगाने और गंगा पर बांध व पुलों के निर्माण की शुरुआत की तब पंडित मदनमोहन मालवीय ने गंगा की जलधार अविरल बहती रहे, इसकी चिंता करते हुए 1916 में फिरंगी हुकूमत को यह अनुबंध करने के लिए बाध्य किया था कि गंगा में हर वक्त हर क्षेत्र में 1000 क्यूसेक पानी अनिवार्य रूप से निरंतर बहता रहे। लेकिन पिछले एक-डेढ़ दशक के भीतर टिहरी जैसे सैकड़ों छोटे-बड़े बांध और बिजली संयंत्रों की स्थापना के लिए आधार स्तंभ बनाकर गंगा और उसकी सहायक नदियों की धाराएं कई जगह अवरुद्ध कर दी गईं हैं।

दरअसल भारत समेत दुनिया के आधे से ज्यादा बांध बूढ़े हो चुके हैं और जो नए बांध निर्माणाधीन हैं, उन्हें भी एक समय बूढ़ा व जर्जर हो जाना है। भारत, अमेरिका, फ्रांस समेत सात से अधिक देशों में औसत उम्र पूरी कर चुके बांधों से करोड़ों लोगों की जिंदगी के सिर पर मौत का खतरा मंडरा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने जल संरचना आयु रिपोर्ट (एजिंग वॉटर इंफ्रास्ट्रक्चर) कनाडा के एक संस्थान के साथ तैयार की है। रिपोर्ट में कहा है कि 2025 तक दुनिया में ऐसे हजारों बांध होंगे, जिनकी उम्र पचास वर्ष से अधिक होगी। इनमें से अनेक बांध जर्जर अवस्था में पहुंच चुके हैं, जो मरम्मत के अभाव में कभी भी टूटकर लाखों जिंदगियां लील सकते हैं। भारत में 1115 ऐसे बांध हैं, जिनकी आयु पचास वर्ष हो चुकी हैं। दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका व पूर्वी यूरोप में ऐसे अनेक बांध हैं, जिनकी उम्र 100 साल होने जा रही है। सात एशियाई देशों के कुल 58,700 बांधों में से ज्यादातर का निर्माण 1930 से 1970 के बीच हुआ है। इस्पात, सीमेंट और कंक्रीट से बने बांधों की उम्र पचास से 100 साल होती है, चीन, भारत, जापान, कोरिया और पाकिस्तान में ऐसे 32,716 बांध हैं, जो अपनी उम्र पूरी कर रहे हैं। केरल का मूल्लापेरियर बांध 100 साल से ज्यादा का हो चुका है, यदि यह टूटता है तो 35 लाख लोगों की जान को खतरा हो सकता है। वैसे भी भारत में बांधों के टूटने से हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं। इस रिपोर्ट और उत्तराखंड की त्रासदियों को ध्यान में रखते हुए बांध परियोजनाओं पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है।

हालांकि देशभर के बांधों को सुरक्षित बनाए रखने की दृष्टि से 10,211 करोड़ रुपए का बजट भारत सरकार ने आबंटित किया है। यह धन ‘बांध पुनर्वास और सुधार कार्यक्रम’ (डीआरआईपी) के अंतर्गत दिया गया है। दो चरणों में बांधों की मरम्मत होगी। भारत बांध संख्या के लिहाज से तीसरे स्थान पर है। देश में कुल बांध 5,745 हैं। इनमें से संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने 1115 बांधों की हालत खस्ता बताई है। चीन पहले और अमेरिका दूसरे स्थान पर है। देश में 973 बांधों की उम्र 50 से 100 वर्ष के बीच है, जो 18 प्रतिशत बैठती है। 973 यानी 56 फीसदी ऐसे बांध हैं, जिनकी आयु 25 से 50 वर्ष हैं। शेष 26 प्रतिशत बांध 25 वर्ष से कम आयु के हैं, जिन्हें मरम्मत की अतिरिक्त जरूरत नहीं है।

दरअसल पुराने और ज्यादा जल दबाव वाले बांधों की मरम्मत इसलिए जरूरी है, क्योंकि बरसात का अधिक मात्रा में पानी भर लेने पर इनके टूटने का खतरा बना रहता है। बांधों की उम्र पूरी होने पर रखरखाव का खर्च बढ़ता है, लेकिन जल भंडारण क्षमता घटती है। बांध बनते समय उनके आसपास आबादी नहीं होती है, लेकिन बाद में बढ़ती जाती है। नदियों के जल बहाव के किनारों पर आबाद गांव, कस्बे एवं नगर होते हैं, ऐसे में अचानक बांध टूटता है तो लाखों लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं। उत्तराखंड में हिमखंडों के टूटने से जो त्रासदियां सामने आ रही हैं, उस परिप्रेक्ष्य में भी नए बांधों के निर्माण से बचने की जरूरत है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, अथवा सच्चाई के प्रति खास रपट उत्तरदायी नहीं है।)

Read Also

Ghaziabad News : आरडी क्रिकेट अकैडमी नौ विकेट से जीती

Ghaziabad News : एडमिशन नहीं ले पाने वाले बच्चों के लिए निशुल्क आॅनलाइन कक्षाएं शुरू की

Ghaziabad News : शिक्षकों को घर से काम करने की सुविधा मिलेगी

श्याम बिहारी मिश्र के निधन से हुई अपूरणीय क्षतिः अशोक कुमार गोयल

प्रधानमंत्री की अपील को हर देशवासी को मानना चाहिएः ठाकुर नरेश कुमार पम्मी

काम तो पूरा हुआ नहीं, सारी गलियां खोदकर रख दींः विवेक

Ghaziabad News :श्याम बिहारी मिश्रा के निधन से जनपद के व्यापारियों में शौक की लहर

Ghaziabad News : एकजुट व जागरूक होकर कोरोना का मुकाबला करना होगा

संकट काल अपने मित्रों व परिजनों के साथ पूरी ताकत के साथ खडें होंः हिमांशु लव

कोरोना से अभिनेता किशोर नंदलास्कर का निधन

Load More

LATEST NEWS

Ghaziabad News : आरडी क्रिकेट अकैडमी नौ विकेट से जीती

Ghaziabad News : एडमिशन नहीं ले पाने वाले बच्चों के लिए निशुल्क आॅनलाइन कक्षाएं शुरू की

Ghaziabad News : शिक्षकों को घर से काम करने की सुविधा मिलेगी

श्याम बिहारी मिश्र के निधन से हुई अपूरणीय क्षतिः अशोक कुमार गोयल

प्रधानमंत्री की अपील को हर देशवासी को मानना चाहिएः ठाकुर नरेश कुमार पम्मी

काम तो पूरा हुआ नहीं, सारी गलियां खोदकर रख दींः विवेक

TRENDING TOPICS

adam gondvi ki kavita asghar gondvi shayari Chetan Anand Hindi Gazal Chetan anand hindi kavita Chetan Anand ki kavita Chetant anand hindi poem corona vaccine Coronavirus Covid 19 ghazal shayari Ghazals of Adam gondvi Ghazals of Jaan Nisar Akhtar ghaziabad Ghaziabad Sports news hindi gazal Hindi Ghazal of Adam Gondvi hindi kavita hindi poem hindi shayari jaan nisar akhtar poetry in hindi Kangana Ranaut love shayari Madhya Pradesh maldives Poem Of Adam Gondvi Rajasthan Salman Khan shayari Shayari of Jaan Nisar Akhtar Suicide urdu Gazal Urdu Gazal in hindi Uttarpradesh अदम गोंडवी की फेमस गजल अदम गोंडवी की हिंदी गजल कविता गजल हिन्दी मे गजलें और शायरी ग़ज़ल शायरी ग़ज़ल हिंदी चेतन आनंद की गजलें शायरी हिंदी कविता हिंदी ग़ज़ल हिन्दी गजल गाने
ADVERTISEMENT
Khash Rapat

© 2021 Khash Rapat - SEO By Dilip Soni.

Navigate Site

  • Privacy Policy
  • Medical Disclaimer
  • Terms of Use
  • Disclaimer
  • Digital Millennium Copyright Act Notice
  • GDPR Requests
  • Cookie Policy
  • Anti Spam Policy
  • Amazon Affiliate Disclaimer
  • Affiliate Disclosure
  • Contact
  • About Us

Follow Us

No Result
View All Result
  • HOME
  • वेब स्टोरी
  • राष्ट्रीय
  • अंतराष्ट्रीय
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • अर्थजगत
  • धर्मकर्म
  • खेल
  • अन्य
    • स्‍वास्‍थ्‍य टिप्‍स
    • साहित्य
      • ग़ज़ल
    • वायरल वीडियो
    • अजब गजब
    • फोटो गैलरी
    • यात्रा
    • खेत खलियान
    • साक्षात्कार

© 2021 Khash Rapat - SEO By Dilip Soni.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In
Khash Rapat