- साल 1942 की घटना ने ललिता पवार का पूरा जीवन बदल के रख दिया
- ललिता पवार के शरीर के दाहिने हिस्से को लकवा मार गया
- 1948 में ललिता पवार ने एक बार फिर से सुनहरे पर्दे पर वापसी की
मुंबई 23 फरवरी (एजेंसी) 24 फरवरी 1998, ये ही वो दिन था जब सख्त मां और सास के किरदार में फिल्मी पर्दे पर अपनी खास पहचान बनाने वाली बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री ललिता पवार ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था। बता दे कि उनका जन्म 18 अप्रैल 1916 को हुआ था व तक़रीबन 50 साल तक बॉलीवुड में सक्रिय रहते हुए हिंदी, मराठी और गुजराती भाषा में 700 से ज्यादा फिल्में कीं । उनका असली नाम अम्बा लक्ष्मण राव सगुन था। बता दे कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार की थी। ललिता पवार ने पहली बार एक मूक फिल्म में काम किया था, जिसके लिए उन्हें 18 रुपये मेहनताना मिला था ।
साल 1942 की घटना ने ललिता पवार का पूरा जीवन बदल के रख दिया, दरअसल फिल्म जंग-ए-आजादी की शूटिंग के दौरान उन्हें अभिनेता भगवान दादा के साथ एक थप्पड़ का सीन शूट करना था। हालाँकि इस सीन को करने के दौरान भगवान दादा ने ललिता को इतनी जोर से थप्पड़ मार दिया कि वो नीचे गिर गयी और उनके कान से खून बहने लगा। बताया जाता है कि कान के इलाज के दौरान डॉक्टर ने ललिता पवार को गलत दवा दे दी जिसके बाद ललिता पवार के शरीर के दाहिने हिस्से को लकवा मार गया। लकवे के कारण ललिता पवार लंबे समय तक मनोरंजन की दुनिया से दूर हो गईं। उनकी दाहिनी आंख पूरी तरह सिकुड़ गई और चेहरा खराब हो गया था। ऐसे में उन्हें फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया।
साल 1948 में ललिता पवार ने एक बार फिर से सुनहरे पर्दे पर वापसी की। फिल्म थी गृहस्थी, जिसका निर्देशन एसएम यूसुफ ने किया था। इस फिल्म में उन्होंने खतरनाक सास का किरदार निभाया। एक बार फिर ललिता का दमदार अभिनय लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगा। इसके बाद उन्होंने साल 1959 में फिल्म अनाड़ी और साल 1955 में आई श्री 420 में निभाए अपने किरदारों से खुद को एक बार फिर बॉलीवुड में स्थापित कर लिया ।
ललिता पवार ने गणपतराव पवार से शादी की थी, हालाँकि ये रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं टिका, इसके बाद उन्होंने निर्माता-निर्देशक राजप्रकाश गुप्ता से शादी की। बताया जाता है कि अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में ललिता पवार घर में अकेली थीं। उनके पति राजप्रकाश अस्पताल में भर्ती थे और बेटा अपने परिवार के साथ मुंबई में था। ललिता पवार की मौत के बारे में परिवारवालों को तीन दिन बाद पता चला जब बेटे ने उनके पास फोन किया और किसी ने नहीं उठाया। घर का दरवाजा तोड़ने पर पुलिस को ललिता पवार की तीन दिन पुरानी लाश मिली थी।

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