शमी वृक्ष ने भगवान राम की विजय का उद्घोष किया था
New Delhi 15 अक्टूबर (एजेंसी)) विजयदशमी पर शमी वृक्ष और विष्णुकांता वनस्पति की पूजा करने की परंपरा है। विजयादशमी के दिन भगवान रामचंद्रजी के लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करते समय शमी वृक्ष ने भगवान की विजय का उद्घोष किया था। इसलिए ही विजयकाल में अपराजिता और शमी पूजन किया जाता है।
शमी वृक्ष की पूजा भी बेहद शुभ मानी जाती है
पांडवों से जुड़ी विराट राज्य की विजय की कथा के कारण इस दिन शमी वृक्ष की पूजा भी बेहद शुभ मानी जाती है। अज्ञातवास में अर्जुन ने अपना धनुष एक शमी वृक्ष पर रखा था तथा स्वयं वृहन्नला वेश में राजा विराट के यहँ नौकरी कर ली थी। जब गोरक्षा के लिए विराट के पुत्र धृष्टद्युम्न ने अर्जुन को अपने साथ लिया, तब अर्जुन ने शमी वृक्ष की पूजाकर के उस पर से अपने हथियार उठाने की अनुमति मांगी थी। इसके बाद शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी।
विजयादशमी का महत्व
भगवान राम के समय से ही ये दिन विजय के लिए प्रस्थान का प्रतीक निश्चित है। भगवान राम ने रावण से युद्ध हेतु इसी दिन प्रस्थान किया था और कई दिनों बाद रावण से युद्ध के लिए इसी दिन को चुना। इसके बाद द्वापर युग में अर्जुन ने धृष्टद्युम्न के साथ गोरक्षा के लिए इसी दिन प्रस्थान किया था। वहीं शिवाजी भी औरंगजेब के लड़ाई के लिए इसी दिन निकले थे। भारतीय इतिहास में कई उदाहरण हैं जब हिन्दू राजा लड़ाई के लिए इस दिन निकले थे।
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