Hanuman worship : Worship of Hanuman ji removes all the defects of a person’s horoscope
मंगलवार के व्रत को करने पर हनुमानजी (Hanuman ji) करेंगे सभी कष्ट दूर
सनातन धर्म में श्री राम भक्त हनुमान को विशेष स्थान प्राप्त है। माना जाता है इस कलिकाल में हनुमान ही एकमात्र ऐसे देव हैं जो जीवित है। त्रेतायुग में माता सीता जी के आर्शीवाद के कारण हनुमान जी को अमरता का वरदान प्राप्त है, जिस कारण इस कलियुग में भी हनुमान जी भक्तों की मुराद को जल्दी पूरा करके उन्हें इस भव सागर से मुक्त कर देते हैं। हनुमानजी (Hanuman ji) को पराक्रम, बल, सेवा और भक्ति के आदर्श देवता माने जाते हैं। इसी वजह से पुराणों में हनुमानजी (Hanuman Ji) को सकलगुणनिधान भी कहा गया है।
गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) ने भी लिखा है कि- ‘चारो जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा।’ इस चौपाई का अर्थ है कि हनुमानजी इकलौते ऐसे देवता हैं, जो हर युग में किसी न किसी रूप गुणों के साथ जगत के लिए संकटमोचक बनकर मौजूद रहेंगे। शास्त्रों में कहा गया है कि हनुमानजी (Hanuman) की सेवा करने और उनका व्रत रखने से उनकी विशेष कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए मंगलवार के व्रत (Tuesday Fast) रखने का विधान है। जानिए मंगलवार की व्रत कथा (Mangalwar vrat katha) और पूजन विधि।
मंगलवार का व्रत (Mangalwar vrat) करने का लाभ
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, हनुमानजी का व्रत करने से कुंडली (Kundli) में मौजूद सभी ग्रह शांत हो जाते हैं और उनकी अशीम कृपा प्राप्त होती है। अपने भक्तों पर आने वाले हर संकट को हनुमानजी दूर करते हैं। संतान प्राप्ति के लिए हनुमानजी का व्रत फलदायी माना जाता है। इस व्रत को करने से भूत-प्रेत और काली शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता है। मंगलवार का व्रत (Tuesday Fast) करने से सम्मान, साहस और पुरुषार्थ बढ़ता है।
मंगलवार व्रत (Tuesday Fast) और पूजन विधि
हनुमानजी का व्रत लगातार 21 मंगलवार करना चाहिए। मंगलवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान वगैरह से निवृत्त होकर सबसे पहले हनुमानजी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प करें। इसके बाद ईशान कोण की दिशा (उत्तर-पूर्व कोने) में किसी एकांत स्थान पर हनुमानजी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर गंगाजल के छीटें देकर उनका लाल कपड़ा धारण कराएं। फिर पुष्प, रोली और अक्षत के छीटें दें। इसके बाद चमेली के तेल का दीपक जलाएं और तेल की कुछ छीटें मूर्ति या तस्वीर पर डाल दें। इसके बाद हनुमानजी फूल अर्पित करें और अक्षत व फूल हाथ में रखकर उनकी कथा सुनें और हनुमान चालिसा और सुंदरकांड का पाठ भी करें। इसके बाद आप भोग लगाएं और अपनी मनोकामना बाबा से कहें और प्रसाद सभी में वितरण कर दें। अगर संभव हो सके तो दान जरूर करें। शाम के समय भी हनुमान मंदिर जाकर चमेली के तेल का दीपक जलाएं और सुंदरकांड का पाठ करें और उनकी आरती करें। 21 मंगलवार के व्रत होने के बाद 22वें मंगलवार को विधि-विधान के साथ बजरंगबली (Bajarang Bali) का पूजा कर उन्हें चोला चढ़ाएं। उसके बाद 21 ब्राह्मणों को बुलाकर उन्हें भोजन कराएं और क्षमतानुसार दान–दक्षिणा दें।
मंगलवार व्रत के दौरान करें हनुमान चालीसा का पाठ
मंगलवार के व्रत करने वाले जातक यदि नियमित रूप से हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ भी करते हैं तो उन्हें हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होता है। गोस्वामी तुलसीदास को जब अकबर द्वारा प्रताड़ित कर जेल में डाल दिया गया था तो गोस्वामी तुलसीदास जी ने जेल में हनुमान जी की प्रशंसा में चालीस पंक्तियों का एक काव्य रचा। जिसे बाद में हनुमान चालीसा के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi) के पाठ से साधक को हर तरह की पीढ़ाओं से मुक्ति मिलती है और हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मंगलवार व्रत कथा (Mangalwar vrat katha)
एक समय की बात है एक ब्राह्मण दंपत्ति प्रेमभाव से साथ-साथ रहते थे लेकिन उनकी कोई संतान ना होने के कारण दुखी रहते थे। ब्राह्मण हर मंगलवार के वन जाकर हनुमानजी की पूजा करने जाता था और संतान की कामना करता था। ब्राह्मण की पत्नी भी हनुमानजी की बहुत बड़ी भक्त थी और मंगलवार का व्रत रखती थी। वह हमेशा मंगलवार के दिन हनुमानजी का भोग लगाकर ही भोजन करती थी। एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी भोजन नहीं बना पाई, जिससे हनुमानजी का भोग नहीं लग सका। तब उसने प्रण किया कि वह अगले मंगलवार को हनुमानजी को भोग लगाकर ही भोजन करेगी। वह छह दिन तक भूखी-प्यासी रखी और मंगलवार के दिन व्रत के दौरान बेहोश हो गई।
ब्राह्मणी की निष्ठा और लगन को देखकर हनुमानजी बहुत प्रसन्न हुए और आशीर्वाद के रूप में एक संतान दी और कहा कि यह तुम्हारी बहुत सेवा करेगा। संतान पाकर ब्राह्मणी बहुत प्रसन्न हुई और उसने बालक का नाम मंगल रखा। कुछ समय बाद जब ब्राह्मण घर आया, तो घर में बच्चे की आवाज सुनाई दी और अपनी पत्नी से पूछा कि आखिर यह बच्चा कौन है? ब्राह्मणी की पत्नी ने कहा कि हनुमानजी ने व्रत से प्रसन्न होकर अपने आशीर्वाद के रूप में यह संतान हम दोनो की दी है। ब्राह्मण को अपनी पत्नी की इस बात पर विश्वास नहीं हुआ। एक दिन जब ब्राह्मणी घर पर नहीं थी तो ब्राह्मण ने मौका देखकर बच्चे को कुएं में गिरा दिया।
अजब-गजब हनुमान, पंचायत में करते हैं फैसला
जब ब्राह्मणी घर लौटी तो उसने मंगल के बारे में पूछा। तभी पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ गया और ब्राह्मण बच्चे को देखकर आश्चर्य चकित रह गया। रात को हनुमानजी ने ब्राह्मण को सपने में दर्शन दिए और बताया कि यह संतान तुम्हारी है। ब्राह्मण सत्य जानकर बहुत खुश हुआ। इसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखने लगे। शास्त्रों के अनुसार, जो भी मनुष्य मंगलवार व्रत और कथा पढ़ता या सुनता है, उसे हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्ति होती है। उसके सभी कष्ट दूर होते हैं और हनुमानजी की दया के पात्र बनते हैं।
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