गाजियाबाद । नगर निगम की लापरवाही से शहर में बनी कॉमर्शियल वाहनों की पार्किंग नगर निगम के लिए परेशानी का सबब बन गई है। डेढ़ दशक से पार्किंग एक ही फर्म चला रही है, जिससे अब तक नगर निगम को 50 करेाड का घाटा हो चुका है।
नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने अब सभी पार्किंग ठेकों की समीक्षा करने की बात कही है। नगर निगम की अपनी पार्किंग पॉलिसी न होने से हाईकोर्ट ने इस फर्म को तब तक स्टे दे दिया था, जब तक निगम अपनी पॉलिसी तैयार न कर ले। नगर निगम ने आठ साल पहले पार्किंग पॉलिसी तैयार कर सदन से पास भी करा ली, लेकिन अभी तक हाईकोर्ट में इसे दाखिल कर स्टे खारिज कराने की प्रक्रिया नहीं अपनाई। इसका नतीजा यह हुआ कि नगर निगम अपनी पार्किंग को वापस नहीं ले पाई और उसे साल दर साल घाटा होता रहा जो बढकर 50 करेाड तक जा पहुंचा है।
नगर निगम पांचों जोन में कॉमर्शियल वाहनों का ठेका नए सिरे से छोड़ता तो प्रत्येक जोन से करीब एक करोड़ रुपये और पांचों जोन से करीब पांच करोड़ रुपये सालाना कमाई हो सकती थी। इस प्रकार अब तक 10 साल में नगर निगम को अनुमानित करीब 50 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है।
बसपा पार्षद आनंद चौधरी ने कहा कि एक ही व्यक्ति 15 साल से पार्किंग का ठेका चला रहा है। नगर निगम के कुछ कर्मचारी इस घपले में शामिल हैं। 15 फरवरी को हुई बोर्ड बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया था। जल्द पार्किंग पॉलिसी को लागू कर शहर में नए सिरे से ठेका छोड़े जाने की मांग की गई है। वहीं नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने कहा कि सभी पार्किंग ठेकों की समीक्षा की जाएगी। कोर्ट के आदेशों के अनुरूप कार्रवाई कर नए सिरे से ठेके छोड़े जाएंगे। मामले में बोर्ड में भी प्रस्ताव पास किया गया है।