बल्लभगढ़, 29 अक्टूबर (एजेंसी)। रानी की छतरी और शाही तालाब का जीर्णोद्धार आसपास के अवैध कब्जों से अधर में लटक गया है। करीब पौन दो करोड़ रुपये की लागत लगने के बावजूद छतरी व शाही तालाब की सुदंरता अवैध कब्जों के चलते पूरी तरह छुपी चुकी है। हालांकि एम्स प्रबंधन और नगर निगम इन अवैध कब्जों को हटाने के लिए अनेकों बार दावा तो कर चुका है, लेकिन आज तक कुछ नहीं हो सका है ।इधर, ठेकेदार को भी निगम प्रशासन की ओर से करीब एक करोड रुपये बकाया है, वह काम को कछुए की चाल की तरह चलाए हुए है।
इनका जीर्णोद्धार अगस्त 2019 में शुरू हुआ, जिसका काम गुरुग्राम की जे.के. कॉन्ट्रैक्टर को दिया गया था। काम अगस्त 2020 में पूरा होना था, लेकिन कोरोना के चलते और कंपनी को समय पर भुगतान नहीं होने के चलते काम पूरा होने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि करीब तीन साल पहले तत्कालीन इंचार्ज एम्स शाखा डॉ.शशीकांत ने इस मामले में संज्ञान लिया और एम्स प्रबंधन ने इन अवैध कब्जा धारको को नोटिस चस्पा किया कि एक सप्ताह में जगह को खाली कर दिया जाए। लेकिन एम्स प्रबंधन के अधिकारी चुप्पी साध गए। इसके बाद निगम अधिकारियों ने दावा किया था कि इन अवैध कब्जों को जल्द से जल्द हटवाया दिया जाएगा, लेकिन निगम अधिकारी भी इस मामले में चुप्पी साध गए और अवैध कब्जे आज भी रानी की छतरी व शाही तालाब की सुदंरता में पैबंद बने हुए हैं।
रानी की छतरी एवं शाही तालाब में जीर्णोद्धार का काम तो 90 फीसदी पूरा हो चुका है। छतरी व तालाब में राजस्थान का लाल पत्थर कारीगरों द्वारा लगाया गया है। तालाब में जाने वाली सीढियों पर भी तीनों ओर प़त्थर लगाकर पुराना लुक दिया गया है। इसी प्रकार तालाब में पानी निकासी के लिए अलग से एक मोटर लगा दी गई है। इसके अलावा तालाब में सुरक्षा की दृष्टि से स्टील की फैंसी ग्रील लगाई गई है। साथ ही साथ छतरी के तीन मुख्य स्थानों पर हाईमॉस्क लाइट भी लगाई गई है।
जीर्णोद्धार करने वाली कंपनी के जगदीश कुमार ने बताया कि अब छतरी को आखिरी टच देना बकाया है, लेकिन निगम भुगतान नहीं कर रहा है। करीब एक करोड रुपये बकाया है। पैसा मिलेगा तो आखिरी टच जल्दी दे दिया जाएगा बल्लभगढ़ में एम्स शाखा में अवैध कब्जे हो रहे हैं, उनकी जानकारी में नहीं है। इस मामले में संबंधित अधिकारियों से जल्द ही बातचीत कर इस पर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
– निखिल भटनागर, संपदा मैनेजर, एम्स, दिल्ली
बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह 1857 की क्रांति के अग्रणी पंक्ति के योद्धा थे। उनका महल आज भी उनकी वीर गाथा बताता है। उनकी रानी बने शाही तालाब में स्नान करने के बाद छतरी के ऊपर पूजा किया करती थी। राजा नाहर सिंह को अंग्रेजों ने उन्हें 9 जनवरी 1858 को दिल्ली के लाल कुआं चौक पर फांसी पर लटकाया था।
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