Shani in Second house in birthchart in hindi: वैदिक ज्योतिष में कुंडली का दूसरा स्थान (Second House) बहुत महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। इस स्थान को धनभाव या धनस्थान कहा जाता है। यह भाव किसी भी जातक की कुंडली (Birth chart) में उसके द्वारा कमाए गए धन और उसके संचय को दर्शाता है।
कुंडली के दूसरे भाव (Second House in birthchart) में विराजमान शनि जातक को मिले जुले परिणाम देते हैं। इस भाव में शनि विराजमान होने पर जातक कई बार अत्याधिक मधुर तो कई बार अत्याधिक कटु बोलने वाला भी होता है। शनिदेव जिन भी जातकों की कुंडली में दूसरे स्थान पर विराजमान होते हैं ऐसे जातकों को जीवन में एक न एक बार अपने जन्मस्थान से दूर निवास करना पड़ता है। जिन जातकों की कुंडली में शनि दूसरे भाव में विराजमान होते हैं ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में गाड़ी घर और अपनी हर मनवांछित चीजों को प्राप्त करते हैं।
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