Shani in 4th house in Birthchart in Hindi: कुंडली का चतुर्थ भाव (4th House in Birthchart) जातक के शरीर में उसके छाती, फेफड़ों तथा इसके आसपास के अंगों का प्रतिनिधत्व करता है, ऐसे में कुंडली में चौथा घर किसी खराब ग्रह के प्रभाव में आने के बाद जातक की मानसिक शांति भंग कर देता है। जन्मकुंडली के चौथे भाव में शनि (Saturn in Fourth House in Birthchart) का होना जातक को उदार और शांत प्रवृत्ति का बनाने के साथ साथ जातक को न्यायप्रिय और परोपकारी भी बनाता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली के चौथे घर शनि की उपस्थिति (Shani in Fourth House) जातक को विदेशों में तरक्की दिलाने के अलावा विभिन्न प्रकार के वाहनों का स्वामी भी बनाता है। इतना ही नहीं, ऐसे जातको के जीवन के सोलहवां, बाइसवां, चौबीसवां, सत्ताइसवां और छत्तीसवां साल बहुत अहम होता हैं।
कई ज्योतिषय शास्त्रों के अनुसार यहां स्थित शनि (Saturn) कभी कभी जातक को 36 साल की उम्र तक किसी न किसी प्रकार का कष्ट भी देता है। इसके अतिरिक्त यहां स्थित शनि कई बार जातक के दो विवाह भी करवा देता है तथा घरेलू क्लेश की स्थिति उत्पन्न करता है। ऐसे जातकों को कई बार पिता की धनसंपत्ति भी ठीक प्रकार से प्राप्त नहीं होती।
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