Adam Gondvi Hindi Gazal : बेचता यूँ ही नहीं है आदमी ईमान को
Adam Gondvi Hindi Gazal: Bechta yun hi nahi hai aadmi Imaan ko बेचता यूँ ही नहीं है आदमी ईमान को, भूख ले जाती है ऐसे मोड़ पर इंसान को । ...
Adam Gondvi Hindi Gazal: Bechta yun hi nahi hai aadmi Imaan ko बेचता यूँ ही नहीं है आदमी ईमान को, भूख ले जाती है ऐसे मोड़ पर इंसान को । ...
जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में गाँव तक वो रोशनी आएगी कितने साल में बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गई रमसुधी की झोपड़ी ...
जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिए आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिए जो बदल सकती है इस पुलिया के मौसम का मिजाज़ उस युवा ...
ज़ुल्फ़-अँगड़ाई-तबस्सुम-चाँद-आईना-गुलाब भुखमरी के मोर्चे पर ढल गया इनका शबाब पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी इस अहद में किसको फुरसत है पढ़े दिल की क़िताब इस सदी की ...
चाँद है ज़ेरे-क़दम. सूरज खिलौना हो गया हाँ, मगर इस दौर में क़िरदार बौना हो गया शहर के दंगों में जब भी मुफलिसों के घर जले कोठियों की लॉन का ...
घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है बताओ कैसे लिख दूँ धूप फागुन की नशीली है भटकती है हमारे गाँव में गूँगी भिखारन-सी सुबह से फरवरी बीमार पत्नी ...
काजू भुने पलेट में विस्की गिलास में उतरा है रामराज विधायक निवास में पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत इतना असर है खादी के उजले लिबास में आजादी का ...
आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है ज़िंदगी हम ग़रीबों की नज़र में इक क़हर है ज़िंदगी भुखमरी की धूप में कुम्हला गई अस्मत की बेल मौत के लमहात से भी ...
हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िए ग़र ग़लतियाँ बाबर की थीं; जुम्मन का घर फिर क्यों जले ऐसे ...
घर में ठन्डे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है बताओ कैसे लिख दूं धूप फागुन की नशीली है बगावत के कमल खिलते हैं दिल के सूखे दरिया में मैं जब ...
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