चेतन आनंद: झांके है कोई पलपल अहसास की नदी में
झांके है कोई पलपल अहसास की नदी में, होने लगी है हलचल अहसास की नदी में। पानी में जब वो झांके, चांदी-सी चमकी जैसे, उतरा हो जैसे बादल अहसास ...
झांके है कोई पलपल अहसास की नदी में, होने लगी है हलचल अहसास की नदी में। पानी में जब वो झांके, चांदी-सी चमकी जैसे, उतरा हो जैसे बादल अहसास ...
अहसास का फलक़ है, अल्फाज़ की ज़मीं है, लगता है मेरे दिल को, तू भी यहीं-कहीं है। जब से किया है मैने, तेरे हवाले ख़ुद को, दुनिया में दिल ...
हम तुम्हारे ग़ुलाम हो न सके, ख़ास रह करके आम हो न सके। हमने अपनाये नहीं हथकंडे, इसलिये अपने काम हो न सके। जी-हज़ूरी किसी की हो न ...
प्यार कब आगे बढ़ा तक़रार से रहकर अलग, सीढ़ियां बनती नहीं दीवार से रहकर अलग। रुक गये तो मौत के आग़ोश में आ जाओगे, सांस चलती ही नहीं रफ़्तार ...
आ गये रिश्तों का हम रंगीं दुशाला छोड़कर, अब कहां जाएंगे हम तेरा शिवाला छोड़कर। कहकहे, सुख-चैन, सपने, नींद, आज़ादी के दिन, क्या मिलेंगे ये तुम्हें सच का उजाला ...
हम नहीं शाख, न पत्ते ही, न फल जैसे हैं प्यार की झील में हम नीलकमल जैसे हैं। उनमें कुछ और ही बातों का असर आया है वो न ...
आंगन में तेरा अक्सर दीवार खड़ी करना कुछ अच्छा नहीं लगता तक़रार खड़ी करना। सच ये है कि मुश्किल है दीवार खड़ी करना बस ख्वाब में आसां है मीनार ...
हमारे हौसले अहसास की हद से बड़े होते अगर अपने नहीं होते तो हम क़द से बड़े होते। हमें ही छू न पायीं भोर की किरणें शिकायत है नहीं ...
उजाले की हुई पत्थर सरीखी पीर को तोड़ें उठो, उठकर अंधेरे की कड़ी प्राचीर को तोड़ें। नहीं टूटी तो आंखों का समन्दर सूख जाएगा हृदय के पर्वतों से दर्द ...
ऐसा भी कोई तौर तरीका निकालिये। अहसास को अल्फाज़ के सांचे में ढालिये।। जलता रहे जो रोज़ ही नफ़रत की आग में, ऐसा दिलो दिमाग़ में रिश्ता न पालिये।। ...
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