बात कम कीजे ज़ेहानत को छुपाए रहिए – निदा फ़ाज़ली
बात कम कीजे ज़ेहानत को छुपाए रहिए अजनबी शहर है ये, दोस्त बनाए रहिए दुश्मनी लाख सही, ख़त्म न कीजे रिश्ता दिल मिले या न मिले हाथ मिलाए रहिए ये ...
बात कम कीजे ज़ेहानत को छुपाए रहिए अजनबी शहर है ये, दोस्त बनाए रहिए दुश्मनी लाख सही, ख़त्म न कीजे रिश्ता दिल मिले या न मिले हाथ मिलाए रहिए ये ...
मैं अपने इख़्तियार में हूँ भी नहीं भी हूँ दुनिया के कारोबार में हूँ भी नहीं भी हूँ. तेरी ही जुस्तुजू में लगा है कभी कभी मैं तेरे इंतिज़ार में ...
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